Saturday, February 2, 2008

बस यूं हुआ इस ब्लॉग का जन्म

काफ़ी दिनो से बहुत कुछ लिखने की इच्छा थी, ढेर सारी बातें बांटने का मन था लेकिन उसके लिए उचित माध्यम नही मिल पा रहा था. एक “पत्रकार” होने के नाते मेरा मन था कि कुछ मुद्दो को अपनी विशेष रिपोर्टों के माध्यम से उठाऊँ लेकिन काफ़ी सोच विचार के बाद लगा कि ब्रॉडकास्ट जर्नलिज़्म में विचारो को मूर्त रूप प्रदान करना हमेशा संभव नही और इसके कई कारण हैं.

हो सकता है जिस विषय के बारे में आप जिस इंटेन्सिटी से सोच रहे हैं शायद दूसरा उससे इत्तफ़ाक़ ना रखता हो, हो सकता है कि उस विषय को टीवी या रेडियो रिपोर्ट के रूप में उतारना बेहद मुश्किल हो. हालांकि मन में ये भी आ रहा था कि गुज़रे ज़माने की डायरी और पेन लेकर ही कागज़ो को रंगीन करना शुरू कर दूँ.

यहां मेरा आलस्य आड़े आ गया, वैसे भी मेरी उंगलियों को अब पेन पकड़ने की आदत नही रही क्योंकि ऐसा करने पर वो हीनभावना का शिकार होती हैं. उन्हें तो लैपटॉप के चमकदार की-बोर्ड पर नाचना भा गया है. इसीलिए ब्लॉग लिखने का विचार मेरे मन में आ रहा था लेकिन पता नही क्यों ब्लॉग शुरू करने में सहज महसूस नही कर रहा था.

पर आख़िरकार आज मैंने बड़े सोच विचार के बाद ये निर्णय ले ही लिया कि मैं अपनी भावनाओं को अंर्तजाल (इंटरनेट) की विशाल दुनिया में जाने-अनजाने चेहरो के साथ बाटूंगा. मैं नही जानता कि मेरा मन अपने ब्लॉग का नाम उन्मुक्त-अभिव्यक्ति देने का क्यों कर रहा है लेकिन जब मैं इसका नामकरण करने की सोच रहा था तो यही नाम मेरे मस्तिष्क में कौंधा और मुझ जैसे आलसी जीव ने दोबारा सोचने की ज़हमत उठानी ज़रूरी नही समझी.

तो फिर तय रही कि आने वाले दिनो में इसी उन्मुक्त-अभिव्यक्ति के माध्यम से ही मैं आप सब लोगो से मुख़ातिब होंगा और कुछ निजी बातो के साथ-साथ बहुत सारी वैश्विक घटनाओं और उन पर मेरे विशेषज्ञ विचारो को आप तक पहुंचाने का ईमानदार प्रयास करूंगा.

शुभेच्छा
सचिन